tag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post373464093192389593..comments2023-07-09T08:47:05.835-07:00Comments on लोकविमर्श: लोकविमर्शhttp://www.blogger.com/profile/15174332880753321155noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-27696817100018296082015-08-19T21:02:20.706-07:002015-08-19T21:02:20.706-07:00purush maansiktaa wale log shayd is post se sahmt ...purush maansiktaa wale log shayd is post se sahmt na ho kintu wastwikta yahi hai .janm lete hi agar ek ladki ko aarthik suraksha mil jaaye jaise ladkon ko praapt hai phir saare log ladkiyon ki mukhaagni dene se hi moksh ki prapti pa lenge .shuru se hi ladkiyon ko hastkshep ki mnaahi hai kintu samay badl raha hai teji se ,sanjnaa ne jo likhaa bahut sanjidgi se likhaa.hamaari parmpraaon ki dhajjiya udaa di .<br />Samta sahayhttps://www.blogger.com/profile/05715350307544529517noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-32142233847428723252015-08-19T01:53:18.668-07:002015-08-19T01:53:18.668-07:00संजना तिवारी का यह आलेख पहली नजर में बहुत अच्छा लग...संजना तिवारी का यह आलेख पहली नजर में बहुत अच्छा लगता है । उन्हें बधाई ।लेकिन इसके साथ ही यह उनकी उस सोच का परिचायक भी है जिसमे मुद्दों को समग्रता में नहीं बल्कि खंडित दृष्टि से देखा जाता है । वे शुरू में अपनी बात तो बहुत सधे हुए अंदाज़ में कहती हैं लेकिन फिर जल्दी ही धर्म और जाति को छोड़ कर केवल समाज में स्त्री के दोयम दर्जे की ही बात करने लगती हैं । उनके तर्क अपनी जगह पर सही हैं किन्तु अब देहदान का दौर प्रारम्भ हो गया है । आगे स्थिति और तेजी से बदलने वाली है । बेटियां अब मुखाग्नि भी दे सकती हैं अगर वे चाहैं तो । लेकिन सवाल बस इतना भर नहीं है ।मेरा मानना है कि हमारे समाज में धर्म और जाति की स्थिति अपरिवर्तित रहे , और सामाजिक आर्थिकपरिवर्तन की प्रक्रिया भी पूरी होजाये , यह संभव नहीं है । वर्ग -संघर्ष की प्रक्रिया को तेज कर दिया जाय तो बाकी सारे परिवर्तन भी आकार ग्रहण करने लगेंगे ।apnon ke beechhttps://www.blogger.com/profile/00070463482389262946noreply@blogger.com