tag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post5310874713592941350..comments2023-07-09T08:47:05.835-07:00Comments on लोकविमर्श: विसर्जन-- कहानीलोकविमर्शhttp://www.blogger.com/profile/15174332880753321155noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-35185838040353652772015-06-28T06:04:34.377-07:002015-06-28T06:04:34.377-07:00आज सिरे से गांव को शहरीकरण के अजगर लील रहे हैं ऐसे...आज सिरे से गांव को शहरीकरण के अजगर लील रहे हैं ऐसे में गांव को रचनात्मक स्तर पर जीकर ही बचाया जा सकता है | गांव में जीवन जीने की स्थितियां जरूर जानबुझकर खतम की जा रही हैं , बिजली के तार खीच गये लट्टु भी लग गये पर गांव में बिजली दिन में आती है ,शाम होते ही अंधेरा |और आदत भी बिगड़ गई कोई लालटेन भी नहीं जलाना चाहती ज्यादातर भूल गये हैं | कैसे गांव पढ़ैगा यह आज के विकास और तकनीकी दौर में सोचने की जरूरत है | कहानी के लिए बधाई |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04647820760957706097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-21135409818176329512015-06-28T06:04:15.941-07:002015-06-28T06:04:15.941-07:00आज सिरे से गांव को शहरीकरण के अजगर लील रहे हैं ऐसे...आज सिरे से गांव को शहरीकरण के अजगर लील रहे हैं ऐसे में गांव को रचनात्मक स्तर पर जीकर ही बचाया जा सकता है | गांव में जीवन जीने की स्थितियां जरूर जानबुझकर खतम की जा रही हैं , बिजली के तार खीच गये लट्टु भी लग गये पर गांव में बिजली दिन में आती है ,शाम होते ही अंधेरा |और आदत भी बिगड़ गई कोई लालटेन भी नहीं जलाना चाहती ज्यादातर भूल गये हैं | कैसे गांव पढ़ैगा यह आज के विकास और तकनीकी दौर में सोचने की जरूरत है | कहानी के लिए बधाई |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/04647820760957706097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-31964101022247210582015-02-01T03:25:49.723-08:002015-02-01T03:25:49.723-08:00इस कहानी में सिनीवाली अपनी पिछली कहानियों से आगे द...इस कहानी में सिनीवाली अपनी पिछली कहानियों से आगे दिखाई देती हैं। ग्रामीण परिवेश का सटीक चित्रण और भाषा-प्रवाह उत्तम है। शुरू से अंत तक पाठक को बाँधकर रखने की क्षमता कहानी में है। कहानी का वैचारिक पक्ष भी साफं-साफ दिखाई देता है। कथाकार अपनी बात पाठकों तक पहुँचाने में सफल हुई हैं। "किस्सागोई" भी इस कहानी में सफलता पूर्वक उभर कर आई है, जो इसकी जान बनी है।<br />कथाकार चिंतित है... उन्माद अपसंस्क्रिति से गाँव को बचाने की चिंता है...और यही चिंता इस कहानी का वैचारिक पक्ष है।<br />पता नहीं, संपादक जी को इस कहानी में "विचार" क्यों नहीं दिखा!प्रदीप बिहारीhttps://www.blogger.com/profile/08879903824246424054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-65427083830200278382015-01-28T21:58:45.223-08:002015-01-28T21:58:45.223-08:00 बहुत अच्छी कहानी है सिनीवाली जी। नष्ट होने के का... बहुत अच्छी कहानी है सिनीवाली जी। नष्ट होने के कागार पर खडे गांव आन्तरिक हालातो की वखूबी सूचना देती है।<br />Nilay Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/11983436832419492691noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-3309024030490939362015-01-28T19:43:51.344-08:002015-01-28T19:43:51.344-08:00सिनीवाली शर्मा की कहानियां पहले भी पढ़ता रहा हूं। ...सिनीवाली शर्मा की कहानियां पहले भी पढ़ता रहा हूं। पिछली कहानियों में वे भावुक हो कर अपनी बात कहती थीं तो कहानी अपने पूरेपन के साथ सामने नहीं आ पाती थी लेकिन इस कहानी में सिनीवाली ने काफी लम्बी दूरी तय करके एक मैच्योर कहानी दी थी। दशहरा, दिवाली और छठपूजा को प्रतीकात्मक रूप में लेते हुए उन्होंने गांव में चलने वाली टुच्ची राजनीति और वर्चस्व की लड़ाई को बेनकाब करने की कोशिश की है। कहानी अपने मकसद में सफल है। सीधी सादी भाषा, कोई टीम टाम नहीं और पते की बात कह जाना। बधाई सिनीवाली। खूब लिखो।सूरज प्रकाश. Blog spot. Inhttps://www.blogger.com/profile/07094722059872465749noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8072088894214956847.post-40063899876503288112015-01-24T22:27:10.379-08:002015-01-24T22:27:10.379-08:00क्यजरूरत है विदेशी आतंकवादी की हम भारतीय ही पर्याप...क्यजरूरत है विदेशी आतंकवादी की हम भारतीय ही पर्याप्त हैAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/09019067728704717034noreply@blogger.com