कुंवर रवींद्र के चित्रों का संसार ---युवा कवियित्री मनीषा
जैन की दृष्टि
15 जून 1957 को जन्में कवि चित्रकार के. रविन्द्र
जी के चित्रों का संसार बेहद अद्भुत है। के. रविन्द्र जी के चित्रों को मैंने फेसबुक
की दुनिया के जरिए से जाना। इनके चित्रों में आर्कषण का आलम यह है कि लगता है कि बस
देखते ही रहो ये चित्र। इन चित्रों में जीवन है , मनुष्यता है तथा जीवन के पांच तत्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश, वायु) का समावेश है। और
प्रकृति की अद्भुत छटा तथा केन्द्र में रंगबिरंगें रंगो से रंगी चिड़िया व मानव है।
मानव व प्रकृति का गहरा रिश्ता होता है ऐसा ही इनके चित्रों में भी दिखाई देता है।
कई चित्रों में तो चिड़िया मानो कुछ कहती हुई प्रतीत होती है। रविन्द्र जी की कविताएं
भी कई रंगों की हैं। वे रंगों में कविता का समावेश करते हैं या कविता में रंगो का कहना मुश्किल है।
वे रंग व शब्दों के ताने बाने से अपनी कला की दुनिया सजाते हैं।
यदि कहें कि रविन्द्र जी की कला रूपी नदी में जीवन व प्रकृति से ओतप्रोत लहरों का प्रवाह
बहता है तो यह अतिश्योक्ति न होगी। इनके चित्रो की अनेक प्रर्दशनियां लग चुकी हैं तथा
लग रही हैं। अब तक पत्रिकाओं तथा पुस्तकों के सत्रह हजार मुखपृष्ठों में इनके चित्र
स्थान पा चुके हैं। रविन्द्र जी के पास चित्रो का ख़जाना है और हरेक चित्र एक दूसरे
से भिन्न है कहीं कोई दोहराव नहीं। चित्रों में कहीं घर रूपी झोंपड़ी की छत
पर चिड़िया बैठी है जो जीवन का संदेश देती है कि इस घर में जीवन है। एक चित्र है नीले
सफेद रंग का, जिसमें कई छोटे बड़े घर हैं और आकाश में आधा चांद है जैसे कि
बोलता सा प्रतीत होता है मानो मकान के भीतर से अभी कोई आदमी बाहर निकलेगा। इनके चित्रों
में प्रतीकों व बिबों का अद्भुत समन्वय दिखाई देता है। किसी चित्र में दो उदास चेहरे
दिखलाई देते हैं , तो उसी चित्र में
चिड़िया खुशी, आशा,
उल्लास का प्रतीक है। जिसे देखकर उम्मीद बंधती है। जिस तरह जे. स्वामीनाथन के चित्रों
में पहाड़ पर चिड़िया जीवन की प्रतीक है। उसी तरह इनके चित्रों में चिड़िया विशेष रूपक
बांधती है।
एक चित्र जिसकी पृष्ठभूमि पीली है, उसमें घास के गलीचे पर एक लाल रंग का व्यक्ति
अपने पैरो पर हाथ रखकर बैठा है, उसके कंधे पर एक नीली चिड़िया बैठी है ऐसा प्रतीत होता
है कि मानो चिड़िया व मानव का संवाद चल रहा है। आज की पत्थर होती दुनिया में ऐसे चित्र
व्यक्ति में हर्ष व उल्लास का संचार तो करते ही हैं।
के. रविन्द्र ने अब तक अनेक कविता पोस्टर भी बनाए हैं , उनमें अद्वितीय सौन्दर्य
झलकता है। अद्भुत रंग संयोजन। एक चित्र जिसमें सफेद वस्त्र पहने एक स्त्री मुंह नीचा
किए बैठी है और उसके घुटने पर एक छोटी सी चिड़िया चोंच खोले कुछ कह रही है, अब यह चित्र देख कर सोचा जा सकता है कि चिड़िया क्या कह रही होगी
? जरूर ही उस स्त्री में
प्रसन्नता का भाव भर रही होगी या पूछ रही होगी कि तुम उदास क्यों हो?
आज के समय का यथार्थ इनके चित्रों व कविता
का विषय है। चित्रों में कहीं कहीं एक चेहरे में दो चेहरे दिखाई देते हैं, क्या ये आज के मनुष्य के चेहरे पर चेहरे जैसे
मुखौटे नहीं प्रतीत होते , किसी चित्र में एकतारा बजाता गांव का युवक है,
कहीं अकेली स्त्री व उसकी परछाई है , कहीं घर की खिड़की
के बाहर दो स्त्रियां खड़ी हैं, कहीं मां व उसके बच्चे हैं, मतलब इन चित्रों
के विषय अनगिनत, रूप अनुपम व रंग
अद्भुत हैं। इनके चित्र जीवन , घर, आशा
निराशा, इंतजार, अकेलापन के भावों से ओतप्रोत हैं। इनके चित्र आज की विसंगतियों
से भरे जीवन में मनुष्यता का संचार करते हैं।
समकालीन यथार्थ से निकले ये चित्र अद्भुत
संवाद स्थापित करते हैं तथा कल्पना के द्वारा दर्शक इनमें अपना संसार खोजता है। तथा
लोक की संवेदना से संपृक्त ये आकृतियां बिना कुछ कहे बहुत कुछ कहती हैं चित्रो में
भावों का एक अनवरत् प्रवाह बहता प्रतीत होता है।
मनीषा जैन
दिल्ली
मैला सिर्फ वह ही नहीं होता
जिस पर कीचड उछाल कर
मैला किया जा रहा हो
उससे ज़्यादा मैला
सोच और समझ से भी
वह होता है
जो कीचड में खड़े होकर
अंजुरी भर -भर कीचड उछाल रहा होता है
जिस पर कीचड उछाल कर
मैला किया जा रहा हो
उससे ज़्यादा मैला
सोच और समझ से भी
वह होता है
जो कीचड में खड़े होकर
अंजुरी भर -भर कीचड उछाल रहा होता है
जितने खूूबसूरत चित्र हैं उतने ही खूमसूरत काव्यात्मक टेक्स्चर में लेख लिखा गया है...
जवाब देंहटाएंमनीषा जैन जी को हार्देक बधाई...
कुंवर रविन्द्र सर के खुबसूरत पेंटिंग्स को आपने शब्द देकर और मुखर बना दिया मनीषा दीदी ........ शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएंसारगर्भित टीप।रविन्द्र जी के रचना एवं चित्र संसार का विहंगम अवलोकन आपकी टीप से किया ।बधाई
जवाब देंहटाएंसारगर्भित टीप।रविन्द्र जी के रचना एवं चित्र संसार का विहंगम अवलोकन आपकी टीप से किया ।बधाई
जवाब देंहटाएं